CSA-JIMMC: जागरण इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड मॉस कम्युनिकेशन की ओर से Agri Journalism and Science Communication PG Diploma कोर्स (कृषि पत्रकारिता एवं विज्ञान संचार) वर्तमान परिदृश्य में आवश्यकता और उपयोगिता विषय पर गत दिवस एक ऑन लाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें आधुनिक कृषि के ख्यातिलब्ध नायक डा. राजाराम त्रिपाठी (Dr. Rajaram Tripathi), लीगल कम्युनिकेशन की एक्सपर्ट अपूर्वा त्रिपाठी (Apurva Tripathi), इफ्को के मार्केटिंग हेड हर्षवर्धन (Harshvardhan), किसान संगठनों के नेता चंद्रशेखर (Chandrashekhar) और चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं तकनीकी विश्वविद्यालय (CSAUT) के प्रोफेसर विजय कुमार त्रिपाठी ने प्रतिभाग किया। JIMMC के निदेशक प्रो. (डा.) उपेंद्र (Pro.(Dr. Upendra)) और एसोसिएट प्रोफेसर रामकृष्ण वाजपेयी (Ramkrishna Vajpei) उपस्थित रहे।
IFCO Marketing Head कृषि पत्रकारिता समय की जरूरत
इफ्को के मार्केटिंग हेड हर्षवर्धन ने कृषि पत्रकारिता को समय की जरूरत बताते हुए कहा कि आज जबकि समूची ग्लोबल इकनामी एग्रीकल्चर और एग्रीकल्चर प्रोडक्ट पर बेस कर रही है ऐसे समय में किसानों के बीच जाकर उनकी भाषा में संवाद करने वालों की बहुत अधिक जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत में भी कृषि का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है जिसके चलते देश के प्रमुख मीडिया हाउसों, चैनलों और डिजिटल मीडिया की वेब साइटों ने अपने यहां एग्रीकल्चर पर आधारित स्पेशल सेगमेंट बना दिया है।
Harshvardhan कंपनियां पैसा देने को तैयार
हर्षवर्धन ने कहा कि आज के युवा को रोजगार की तलाश है इस क्षेत्र में पैसा देने के लिए कंपनियां तैयार बैठी हैं लेकिन समस्या ये आ रही है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था या ग्रामीण पृष्ठभूमि से परिचित युवा मिल ही नहीं रहे हैं। जो मिल भी रहे हैं उनके पास संवाद करने का कौशल नहीं है। अगर उनसे लिखने को कहा जाए तो हिन्दी में दो लाइन भी ठीक से नहीं लिख पाएंगे। अंग्रेजी की तो बात मत कीजिए। वैसे ग्रामीण परिवेश में सम्पर्क के लिए ऐसे युवाओं की जरूरत है जो ग्रामीण जीवन शैली स्वीकार कर सकते हों। वैसे भी इफ्को का सारा काम किसानों के साथ जनसम्पर्क पर ही आधारित है।
Dr. Rajaram Tripathi ग्लोबल मार्केट में बेस्ट जर्नलिस्ट की डिमांड
डा. राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए कृषि सबसे मजबूत प्रोडक्ट है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को और मजबूती देने की जरूरत है। यूरोपीय यूनियन और अमेरिका से प्रतिस्पर्धा के लिए बेस्ट क्वालिटी चाहिए। उस बेस्ट क्वालिटी के लिए हमारा बेस्ट कम्युनिकेटर, बेस्ट जर्नलिस्ट अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में भारत के किसानों को खड़ा कर सकता है। झूठ के पिरामिड पर बैठे नौकरशाहों और नेताओं को सच का आईना दिखा सकता है। इस लिहाज से एग्री जर्नलिज्म और साइंस कम्युनिकेशन दोनों ही फील्ड महत्वपूर्ण हैं।
CSA Pro. Dr. Vijay Kumar Yadav करियर की असीम संभावनाएं
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं तकनीकी विश्वविद्यालय के सेवायोजन विभाग के हेड प्रो. विजय कुमार यादव ने कहा कि एग्रीकल्चर एक्सटेंशन के पार्ट के रूप में सीएसए ने जिम्सी के साथ पत्रकारिता का ये नया कोर्स शुरू किया है जिसमें बीएससी एग्रीकल्चर करने वाले छात्रों के लिए करियर बनाने की असीम संभावनाएं हैं।
किसानों के संगठनों से जुड़े चंद्रशेखर ने कहा कि कंपनियों और किसानों के बीच सेतु की भूमिका कृषि पत्रकार ही अदा कर सकता है पत्रकारिता की ये फील्ड इस समय ग्रोइंग है जिसमें एडवेंचर के साथ काम करने का भरपूर अवसर है। साथ ही इस फील्ड में पैसा भी भरपूर है जो कि न्यूकमर जर्नलिस्ट्स को जल्दी राइज दे सकता है। इस फील्ड से तीन लाख से लेकर 30 लाख तक कमाई होने के अवसर हैं।
लीगल कम्युनिकेशन की एक्सपर्ट अपूर्वा त्रिपाठी ने कहा कि वह जिस परिवेश में रह रही हैं वहां ग्रामीणों के बीच लीगल कम्युनिकेशन स्किल या कम्युनिकेशन स्किल का होना बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण परिवेश से जुड़े युवाओं के लिए ये कोर्स एक वरदान है।
धन्यवाद ज्ञापित करते हुए जिम्सी के डायरेक्टर डा. उपेंद्र ने कहा कि समय की मांग को देखते हुए ही हमने देश का पहला एग्रीकल्चर जर्नलिज्म एंड साइंस कम्युनिकेशन कोर्स शुरू किया है। जिसमें छात्रों को बेहतरीन करियर बनाने के अनेक अवसर हैं। किसी भी स्ट्रीम के ग्रेजुएट के लिए ये कोर्स एक वरदान की तरह है। इससे पूर्व रामकृष्ण वाजपेयी ने विषय प्रवर्तन किया।